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व्हीआईएसएम हाॅस्पिटल मनाया गया विष्वस्तनपान सप्ताह- डाॅक्टर्स ने बताये अपने विचार

व्हीआईएसएम ग्रुप आॅफ स्ट्डीज़ के अन्तर्गत संचालित व्हीआईएसएम हाॅस्पिटल एवं जय इंस्टीटयूट आॅफ नर्सिंग एण्ड रिसर्च के तत्वाधान में आज दिनांक 04/08/2021 को विश्व स्तनपान सप्ताह के अन्तर्गत विशेषज्ञ चिकित्सकों की चर्चा आयोजित की गई। जिसमें डाॅ. प्रदीप जैन, डाॅ. के.के. गुप्ता, डाॅ. सुरभि गुप्ता, डाॅ. कनुप्रिया आहुजा, डाॅ. जे.सी. गर्ग, डाॅ. पी.वी. आर्या एवं डाॅ. रश्मि गुप्ता उपस्थित रहें जिन्होंने स्तनपान के महत्व को बताते हुए अपने विचार रखे। कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती पूजन एवं दीपप्रज्जवलित कर की गई । सर्व प्रथम संस्थान के चेयरमैन डाॅ. सुनील राठौर ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज के विषेषज्ञ चिकित्सकों की गोष्ठी से नर्सिंग महाविद्यालय के छात्र-छात्राऐं लाभान्वित होंगे। उन्होंने समस्त विद्यार्थियों से कहा कि वे अपनी जिज्ञासा का समाधान भी विषेषज्ञ चिकित्सको से कर सकते है। मुख्य वक्ता डाॅ. प्रदीप जैन ने कहा कि पूरे विष्व में माँताओ द्वारा अपने नवजात को स्तनपान न कराये जाने के कारण ही विश्व स्तनपान सप्ताह मनाने की आवश्यकता पड रही है यह केवल औपचारिक कार्यक्रम न होकर स्तनपान की महत्ता को वताने वाला कार्यक्रम है। इसके उपरान्त डाॅ. के.के. गुप्ता ने माँताओं के अपने शिषुओं को स्तनपान कराये जाने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि माँ का दूध बच्चो के लिये अमृत के समान है। इससे बालक न केवल स्वस्थ्य एवं बलिष्ठ होता है बल्कि उसका अपनी माँ से भाबात्मक जुडाव भी बढता है। डाॅ. सुरभि गुप्ता ने कहा कि आधुनिक समय में जो माँताऐं बच्चो को स्तनपान कराने में संकोच करती है वे उन्हें कमजोर बनाती है । उन्होंने बताया कि बच्चों को 6 माह तक केवल माँ का दूध ही पिलाया जाना अत्यावश्यक है उसें दो साल की अवधि तक स्तनपान कराया जा सकता है। स्तनपान न कराये जाने के कारण कई बच्चे अशक्त होंते है एवं भविष्य में परेशानी का कारण बनते है। डाॅ. रश्मि गुप्ता ने कहा कि विदेशो में स्तनपान का प्रचलन बढ रहा है जवकि हमारे यहाँ माताऐं इससे बचने की कोषिष करती है। आज देश में 14 विलियन रूपये का डिब्बे के दूध व्यापार है। स्तनपान न कराने से होने वाली बिमारियों के कारण लगभग 20 हजार माताऐं प्रतिवर्ष अपना जीवन समाप्त कर देती है एवं साथ ही लगभग 40 लाख बच्चे विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो जाते है। उन्होंने कहा कि माँ का दूध नैसर्गिक एवं श्रेष्ठ है एवं उसका पान कराया जाना माँ एवं बच्चा दोनो के हित में है। डाॅ. जे.सी. गर्ग ने बताया कि केवल कैंसर एवं एड्स रोग से पीड़ित माँताऐं ही स्तनपान न करायें शेष किसी भी रोग से पीड़ित होने पर भी स्तनपान कराया जा सकता है। इस मौके पर संस्थान की चेयरपर्सन श्रीमती सरोज राठौर, ग्रुप निदेशक डाॅ. प्रज्ञा सिंह, नर्सिंग प्राचार्या एवं फार्मेसी प्राचार्य सहित नर्सिंग महाविद्यालय के छात्र-छात्राऐं उपस्थित थें।

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